काली रात
अन्धकारमय जग हो जाता
सूरज भी थककर सो जाता
कमलक्रोड़ मे बंद भ्रमर भी
सूर्योदय का ध्यान लगाता
सजी सितारों की बारात
जब आती है काली रात
जड़ चेतन सब एकाकार
सपने देखते अनेक प्रकार
सांसों का बस आना जाना
करता है जीवन साकार
शशि सितारे रहते साथ
जब आती है काली रात
काली विद्या का प्रयोग
ताने बाने बुनते लोग
रक्त मदीरा करते पान
छल आडंबर इनके बाण
अंधविश्वासी इनके हाथ
जब आती है काली रात
टोना टोटका माया जाल
आवघड़ ओझा की है चाल
रात्री पूजा की जाती है
बलि अन्चाहे दी जाती है
कुछ लोग सुनते इनकी बात
जब आती है काली रात
रूप अनेकों धारण करके
छायाहीन विचरण करते हैं
अन्धकार के बीच निशाचर
बढ़े शक्ति का दम्भ भरते हैं
देख सिहर जाते हैं गात
जब आती है काली रात
अनेक योजना बनते रोज
चोरी डाका छल प्रयोग
अबला की अस्मत का सौदा
काली रात में करते लोग
दुष्टों की बन जाती बात
जब आती है काली रात
कवि ---प्रेमशंकर प्रेमी ( रियासत पवई )