महारानी लक्ष्मीबाई
अंग्रेजों के आगे आ गयीं ,ध रें रूप दुर्गा काली । बाई साब झांसी वाली ।
गोरा करवे अति अन्याय ,रानी को बिलकुल न भाय ,सोचे अब का करें उपाय ,
सुमर भवानी महादेव को ,मुह पर छाई थी लाली ।................................१
सैनिक पहने कुर्ती लाल ,गोरन को वन गये वे काल ,लड लड के कर दये बेहाल ,
बर्छी ढाल कृपाण कटारी ,लट लटके कांधे काली ।.................................२
करती कर्म भूमि से प्यार , कसके बांधी कमर कटार , हर हर महादेव उच्चार ,
जीवन सौपो मातृ भूमि को ,पी गयीं वो अमृत प्याली ।.........................३
धन्य धन्य नगरी झांसी, धन्य यहाँ के सब वासी ,गरिमा जाकी है खासी ,
गोरन की गोरी चमड़ी तब कोयले सी हो गई काली ।..............................४
सुन्दर मुन्दर झलकारी ,सखी सहेली अति प्यारी ,स्वामी भक्ति शक्ति भारी ,
सातऊ जाते हिलमिल रह रई , जैसे पूजा की थाली ।............................५
मेरी यह रचना मौलिक व स्वरचित है ।
राजेश तिवारी "मक्खन "
टाइप 2/528 भेल झांसी ( उ. प्र.)
मो़ ० 9451131195
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