प्रीत की पीर
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प्रीत की पीर,
बहे नैना नीर,
बूझे ना साजन,
मन हुआ अधीर ।
सखियां गाए मिल,
मिलन के गीत,
दहके मोरा जिया,
परदेश में मीत।
छाई घनघोर बदरिया,
छमाछम बरसे बुंदिया,
घर आंगन लबालब,
सूनी सूनी रतिया।
मिटे ना शूल,
कैसे भेजूं संदेशा,
पिया बड़ी दूर,
ना आवन आशा।
आन मिलो सजन,
शुक मधुर गाए,
दिन रैना तडपूं,
कौन अगन बुझाए।
गुल गुंचे खिले,
चंदा गगन बिंहसे,
पिकी नाचे मगन,
घर आओ सजन।
सुषमा सिंह
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( सर्वाधिकार सुरक्षित एवं मौलिक)