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वीर अभिमन्यु*

 


मनहरण घनाक्षरी

वर्णभार-8,8,8,7पर यति।

*वीर अभिमन्यु*

चक्रव्यूह बात सुने,धर्मराज सिर धुने,

अरजुन नहीं है तो,कौन भेद पाएगा।


होगा ऐसा कौन लाल,दिखला दे जो कमाल,

काट काट दुश्मन के,युद्ध में छा जाएगा।


युद्ध में मचा धमाल,दुश्मन के बन काल,

कर और कराल से,सिर काट लाएगा।


जैसे वह सुना पूत,खड़ा हुआ देवदूत,

आप दीजिए आज्ञा तो,अभिमन्यु जाएगा।


छह तह तोड़ कर,एक गेट छोड़कर,

जानता हूँ उदर से,एक बच जाएगा।


बड़े चाचा भीम बोले,गदा रख मुँह खोले,

जब तुम छह गेट,तोड़ चल जाएगा।

 

पीछे पीछे हम सब,घेरा न बचेगा अब,

मेरी गदा भुजाअब  ,कौन काम आएगा।


फड़ फड़ भुजा करे,सीना में साहस भरे,

शेषा अवतार धरे,युद्ध भूमि जाएगा।


नाग जैसे फुफकारे,धनुष शत्रु संहारे,

मचा हाहाकार वहाँ,शीश उड़ जाएगा।


चला जब वह लाल,बनकर शत्रु काल,

चमचम करवाल,कौन रोक पाएगा।


धनुष कमान लिए,दिव्य शक्ति वाण लिए,

मन में तूफान लिए,उधम मचाएगा।


जोश भरा तन मन,बालक रतन धन,

वीर चला दनदन,कौरव हराएगा।


घुस गया दनदन,छ फाटक भनभन,

दुश्मन दलन लगे,शेर को सताएगा।


तीर चले सनसन,शमशीर खनखन,

 दुष्ट घबराए जन, कौन आगे जाएगा।


एक साथ योद्धा सब,वध कर मिल अब,

एक वीर योद्धा न तो,बच नहीं पाएगा।


महारथी गुरू द्रोण,दुर्योधन वीर कर्ण,

तीर तलवार सब, साथ में चलाएगा। ______________________

यह मेरी मौलिक एवं स्वरचित

मनहरण धनाक्षरी छंद मे लिखी गयी है।

विजय कुमार, कंकेर,औरंगाबाद।

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