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पेड़


 मनहरण घनाक्षरी 

*पेड़*

जड़ी बूटी फल फूल,पेड़ पौधे कंद मूल।

हवा पानी भूमि धूल,जीवन बचाइए ।।


पेड़.पौधे चिर आयु,बने.सब प्राण वायु।

शुद्ध शुद्ध जलवायु,भूमि को सजाइए।


भूमि पर हरियाली,हमें देती खुशहाली।

पेड़ पौधे डाली डाली,शुद्ध वायु पाइए।


आक्सीजन की कमी से,आम पीपर शमी से।

धरती को गरमी से, राहत दिलाइए।।


भूमि पर वन सब,काट रहे जन अब।

काट मत छोड़ अब ,पेड़ को बचाइए।।


जल थल संरक्षण,धरती के आवरण।

बचाइए पर्यावरण,पेड़ को लगाइए।।


इमारत बनाइए,फर्निचर सजाइए ।

सूखी डाल कटाइए,भोजन पकाइए।।


बसुंधरा आभूषण, है कानन संरक्षण ।

ये चिपको आंदोलन ,सफल बनाइए।।

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यह मेरी मौलिक स्वरचित

 घनाक्षरी छंद है।

विजय कुमार,कंकेर,औरंगाबाद।

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