विषय - हम गांव के किसान
विधा - कविता
हम गांवों के गरीब किसान
करते रहते है खेतो में काम।
फिर भी मिलता न पूरा दाम
लगे ही रहते सुबह से शाम।।
पत्नी बच्चें और यह घरवाले
काम सभी यह करते है सारे।
मिलता है रोटी और ये प्याज
मिलकर खाते हम सब साथ।।
कड़ी धूप बारिश और हवाएं
कहर सभी ये हम पर ढ़हाऐ।
बहुत बार तो सूखा अकाल
करती धरती हमको कगांल।।
मानसून बना बारिश का आज
बरस रहा इस वर्ष यह खास
खिल उठे चहरे सब के आज
चाहे बैल हो या फिर किसान।।
मूंग,मोठ,गेंहू,चना और चावल
खेतो में यह किसान ही बोऐ।
जिसको खाकर आज देश में
मानव अपना नाम ये कमाऐ।।
थोड़ा अनाज रखते हम पास
बाकी सारा बेच देते सरकार।
उससे भी वह टैक्स काटकर
हमको देती है यह कलदार।।
जैसे हुऐ है पैदा हम सब
ऐसे ही एक दिन मर जाना है।
आज तक गरीब किसान को
जमीदार बनते नही पाया है।।
रचनाकार crpf दीवान ✍️
गणपत लाल उदय अजमेर राजस्थान