शीर्षक -पीहर का गाँव
पीहर तेरे गांव में बहुत अपनापन है
इसलिए मेरा मन खिंचा उसके संग है
बहुत याद आता मुझे सुन्दर प्यारा गाँव
जहाँ मिलती जीवन में शांति की छाँव।
घर कच्चे पर सब लोग दिल के पक्के हैं
नहीं बैर किसी के मन में दिल के सच्चे हैं
जीवटता नज़र आती उनके हर काम में
यहाँ सुख मिलता ऐसा जैसा चारों धाम में ।
भोर की प्रभाती और संध्या का वंदन
सुनकर भूल जाता मन दुख और क्रंदन
चिड़ियों का कलरव ताजगी से भर देता
चौपायों की चाप जीवन को गति देता।
वटवृक्ष,पीपल,इमली आम,नीम,नींबू
गाँव की पवित्र मिट्टी को मैं, दिल से चूँमू
ठंडी बयार कहती है थोड़ा ठहर जाओ
अपनी जड़ों को छोड़कर तुम न जाओ।
मीना जैन दुष्यंत भोपाल
Bhut shaandaar..behad sundar rachna