Type Here to Get Search Results !

गोस्वामी तुलसीदास काव्य प्रतियोगिता।दादा जी का गांव_renu

एक रचना 
     दादा जी का गाँव 

याद आ रहा मुझको
मेरे दादा जी का गाँव ,
जिसकी संकरी संकरी गलियां
नीम बरगद की छांव।

वो भोर सांझ के कलरव,
खूंटे से बंधी गईया
हर नारी में यशोदा मैया,
सदा आदर के चादर में लिपटा
बुजुर्गो का सम्मान।
याद आ रहा मुझको दादा जी...

स्वानो को रोटी, पंछियों के दाने
खेतों की फसलें, सरसों के फूल,
सब्जियों की बेलें जो वृक्षों पर झूलें,
बेखौफ हँसता बचपन,वो पनघट,
नहरें, नदियों के धार,
हर हाल में रहते सब खुशहाल।
याद आ रहा है मुझको...

पूजा की घंटी,वंदन,चंदन गूंजता शंखनाद,
रीति रिवाज की दीवारें,जो सबको बांधे,
नैनो से छलके, स्नेह संस्कार।
वो सावन के झूले, शिवरात्रि के मेले,
जलती ढिबरी में भोजन करते साथ साथ,
ठिठुरती रातों में तापते अलाव,
हर सुख-दुख में रहते सब  खुशहाल।
याद आ रहा है मुझको, मेरे
दादाजी का गाँव ।।
       
    रेणु झा रेणुका, 
      रांची     (झारखंड) से।
Tags

Post a Comment

19 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Geeta choubey said…
बहुत सुंदर दादाजी का गाँव!
runa said…
अत्यंत ही पावन, मनभावन ये "दादाजी का गाँव"
👌👌👍👍
Unknown said…
Bahut sundar
Unknown said…
बहुत भावपूर्ण रचना है रेणु जी दिल छू लिया
हमें भी गांव की याद आ गई। वाह वाह
Unknown said…
वाह 👏👏 बहुत सुंदर गाँव
Pushpa sahay said…
भावपूर्ण रचना
ABHISHEK KUMAR said…
पुरानी यादें उफ़्फ़! बहुत सरल एवं पावन।
Mamata92 said…
बहुत भावपूर्ण और हृदयस्पर्शी रचना। हार्दिक बधाई आपको !👌💐
Unknown said…
Wah!!!! Bahut badhiya ❣❣
Unknown said…
Wooo ati sundar
Unknown said…
बहुत अच्छा
Unknown said…
बहुत सुंदर काव्य, गांव का दृश्य जीवंत हो उठा।
Unknown said…
Wow,so beautifully described👍
Unknown said…
Bahut sunder
Unknown said…
Very Nice. Each line present the live picture of our village.
Unknown said…
"दादा जी का गाँव"
शांति और सगुन,हृदय स्पर्शी रचना
ग्रामीण भाव भीनी परिदृश्य,
खुशियाँ और सम्मान, प्राकृतिक परिस्थितियों की ताजगी एवं सम्पूर्ण सादगी हमें कृथार्त कर रहा ।
Unknown said…
वाह बहुत ही सुंदर
बहुत मनभावन कविता! बधाई