गांव की ओर
खुला आसमान
हरी-भरी धरती
बड़े-बड़े मकान
घर बीच आंगन
बड़ा सा द्व़ार
नीम तुलसी के पेड़
बढ़ाते शोभा घर की
पीपल वृक्ष का छांव
मेरे गांव जुडपुर का
बढाता शान
प्रदूषण से मुक्त
मेरा प्यारा गांव जुड़पुर
बहुत प्यारा लगता है
प्रकृति की सुंदरता
कोयल की मथुर आवाज
शुद्ध सुहानी हवा
मुझे खींच लाती है
अपने गांव की ओर
विनोद कुमार सीताराम दुबे,
शिक्षक व हिंदी प्रचारक भांडुप मुंबई महाराष्ट्र
संस्थापक सीताराम ग्रामीण साहित्य परिषद एवं इंद्रजीत पुस्तकालय जुडपुर रामनगर विधमौवा मड़ियाहूं जौनपुर उत्तर प्रदेश