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तुलसी काव्य प्रतियोगिता। मजदूरों व कृषकों की दुःख भरी कहानी है_sahita


शीर्षक....(ग्रामीण परिवेष) 

🌹👏👏👏🌹

मजदूरों व कृषकों की दुःख भरी कहानी है

ग्रामीण व्यवस्थाओं से आँखों में पानी हैं

ढेरों योजनाएं जमाने से चल रहीं

कागजों में हैं ए बस इसी से खल रहीं

कारगर हैं कितनी सबकी जानी मानी हैं
ग्रामीण ..........

प्राइमरी शिक्षा गजब का प्रमाण है

पक्षपात वाला शब्दभेदी बाण है

गरीबों पर वार की नीति पुरानी हैं

ग्रामीण.....
सीमांत लघु कृषक को राहत  का साथ है

सौ में दस रुपये ही
 जिनके आते हाँथ हैं

लूट तंत्र लूटता है ए बेईमानी हैं
ग्रामीण.....

वो बने हैं साहब नौकर जो सच में  हैं

सत्ताधारियों के रहते जो टच में हैं

आजाद हैं वो गांव में अब
भी गुलामी हैं

सोषणों का व्योरा कहाँ तक लिखूंगा में

कुछ दिनों के वाद खुद ही न दिखूंगा में

हिन्द पर आरक्षण कैसी सुनामी हैं

ग्रामीण........
गांव से पलायन ग्रामीण कर रहे

जी रहे हैं घुट घुट के कृषक मर रहे

कुदरती समस्या भी आसमानी है
ग्रामीण....

कवि 
राजेश तिवारी भृगुवंशी
कुलपहाड़ महोबा


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