*गाँव मेरा*
गाँव मेरा है बडा प्यारा,
दुनिया में सबसे न्यारा।
सह्याद्री के उस पार मेरा गाँव
गेहूँ - गन्ने की पडी हैं छाँव,
कावेरी मेरे गाँव की गंगा
खेती ही किसान का धंधा ।
घर -घर में अनाज का है
भंडार,
हर दिलों में छिपी है प्रेम सागर,
मदद के हाथ बढाते हैं सब,
गाँ मे सुख -शांति दिय है रब।
गाँव मेरा है बडा़ प्यारा ,
दुनिया में सबसे न्यारा।
आओ मित्र यहाँ, तुम्हें स्वागत है,
देखो, भारत समा है मेरे गाँव में
खेलतें हैं बच्चें ,गली- गली में,
हर बगीचे में फल- फूल भरे हैं।
गाँव मेरा है बडा़ प्यारा
दुनिया में सबसे न्यारा।
आंगन में हैं तुलसी-हीना बिरवा ,
राम -रहिम मिटातें हैं द्वेष कडुआ,
मेरे लोग जाति -धर्म से दूर खडे,
भाईचार-सदाचार से सब हैं अडे।
गाँ मेरा है बडा़ प्यारा,
दुनिया में सबसे न्यारा।
पूष की ठंड कश्मीर की याद ,
मोगरे महक, वाह.. खीर की स्वाद,
तीज मनाते गाँ की ललनाएँ
कसरत में अव्वल हैं युवाएँ।
गाँव मेरा है बडा़ प्यारा
दुनिया में सबसे न्यारा।
पंच परमेश्वर यहाँ हैं पूजतें,
भगत सुजान हैं धर्म निभातें।बागिया में गाँ मेरा सदा बहार
हर किसी को देते हैं सत्कार।
गाँव मेरा है बडा़ प्यारा ,
दुनिया में सबसे न्यारा।
डाॅ. सरोजा मेटी लोडा़य कर्नाटक ।