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रमा बहेड हैदराबाद की लघुकथा प्रेमचंद महोत्सव में_sribharat

लघु कथा
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ललिता देवी शहर के जानी-मानी समाज सेविकाओं में से एक हैं। महिलाओं के कल्याण के लिए उसने बहुत से कार्य किए हैं ।आए दिन पत्र-पत्रिकाओं में उनके द्वारा किए गए कल्याणकारी कार्य कार्यों के बारे में छपता रहता है। करुणा उनके यहांँ काम करती है । सुबह से उसकी तबीयत ठीक नहीं है लेकिन मालकिन ने आज घर में पार्टी रखी है और उसे बुलाया है। हिम्मत करके वह जाती है सुबह से रसोई घर में लगी है चक्कर आ रहे थे पर बड़ी ईमानदारी से काम किया और मेहमानों के लिए जब वह शरबत लेकर गई। ठोकर लगने से उसके हाथ की ट्रे गिर पड़ी। बस फिर क्या था ललिता देवी ने एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर रख दिया। वहांँ बैठी महिलाएंँ और करुणा स्वयं मन में सोचने लगी सारे समाज की सेवा करने वाली इस समाज सेविका के घर में ही नौकरानी के साथ बुरा व्यवहार किया जाता है यह तो ऐसा ही है जैसे चिराग तले अंधेरा । नारी का नारी के प्रति दृष्टिकोण कुछ इस तरह भी होता है। 
---रमा बहेड,हैदराबाद

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