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तुलसीदास काव्य महोत्सव_yogesh

.मुंशी प्रेमचंद 

मुंशीजी गद्य की गरिमा साहित्य साधना के चिंतक है
सामाजिक विषमता अन्याय की  अाग  के निंदक है

कहानी उपन्यास निबंध नाटक
 हर विधा को जीवंत  किया है
लेखक शिक्षक ओर पत्रकार की
भुमिका को भी प्रमाणित किया है

अात्मा की अावाज भी कुछ कहती है
पूस की रात" भी किसानो को डसती है

कृषक जीवन"महाजनी व्यवस्था का प्रतिशोध है
सामाजिक" अन्याय" विसंगतियो" का अवरोध है

अधूरी कृति "मगलसूत्र......अंग्रेजो द्वारा प्रतिबंधित है
वेदना"विषमता पर लिखने से लेखनी भी रक्तरंजित है

वेदना  का इनके साहित्य मे प्रभावी चित्रण है
विसंगतियो की भुमिका का साहसी मिश्रण है

गबन"गोदान"सेवासदन"कर्मभुमि" के लेखक है
"प्रेमाश्रय"कायाकल्प"मानसरोवर" के सेवक है

स्वरचित........योगेश सिंह धाकरे "चातक"
                    अालीराजपुर  म.प्र.

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