लघुकथा
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्ताँ हमारा
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खुर्शीदपुर के करीम चौक पर मुस्लिम समाज के दर्जनों बड़े बुजुर्ग अफ़ग़ानिस्तान में दहशतगर्दों के एक संगठन द्वारा देश की राजधानी पर कब्जा कर लेने कि घटना पर चर्चा कर रहे थे कि दहशतगर्द के एक संगठन ने किस तरह राजधानी पर कब्जा कर लिया है और वहाँ कि स्थानीय जनता पर जुल्म ढ़ा रहा है। वहाँ कि राजधानी से वापस अपने घर में आये कमरुद्दीन ने कहा कि दहशतगर्द का कोई धर्म नहीं होता है,उसमें कोई ईमान नहीं होता है,आम जनता के प्रति मान सम्मान नहीं होता है।वह अल्लाह के नाम पर सीधे-सादे लोंगो, आर्थिक रुप से गरीब लोगों को अपनी जाल में फंसाता है और उनका इस्तेमाल करता है।
कमरुद्दीन की बात सुनकर युसुफ खान ने कहा कि दुनियाँ में जितना सुरक्षित मुसलमान अपने देश भारत में रहते हैं उतना किसी भी देश में नही रहते हैं,जितना मान सम्मान मुस्लिम को इंडिया में मिलता है वह विश्व के किसी कोने में नहीं मिलता है।
युसुफ खान की बात सुनकर पास में खड़े एक सोलह वर्षीय किशोर बालक तस्लीम हक ने मुस्कुराते हुए कहा "सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तां हमारा"।
इस किशोर बालक के मुख से "सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्ताँ हमारा " सुनकर सभी के मुरझाये चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी।
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अरविन्द अकेला