मां कात्यायनी ग्याराहजारी-राष्ट्रीय-काव्य संस्थान
'विमल भवन', विकास नगर, लखनऊ-22
चलभाष : 9454831866
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संरक्षक:श्रद्धेय श्रीश्री गंगेश बाबा (मुजफ्फरपुर)
संस्थापक/संयोजक/संचालक:
-सम्पत्ति कुमार मिश्र"भ्रमर बैसवारी" (छंदकार)
मीडिया प्रभारी-श्री पीयूष मिश्र ''भइयाजी''
सोमवार, 13 सितम्बर, 2021
अध्यक्षता-श्री एम.सी.द्विवेदी(पूर्व डीजीपी)
मु.अ.-डा.सुरेश प्रकाश शुक्ल (साहित्य भूषण)
वि.अ-डा. शोभा वाजपेयी(वरिष्ठ कवयित्री)
श्री नरेशदीक्षित (हनुमत कृपा पत्रिका)
वाणी वंदना-श्री ब्रजकिशोर शुक्ल "ब्रज"
डा. सत्यदेव द्विवेदी"पथिक" (महामंत्री प्रतिष्ठा)
डा.अल्कामिश्रा (डीएसएनपीजी कालेज,उन्नाव)
श्री शिव कैलाश तिवारी (साहित्य प्रेमी)
श्री गिरीश कुमार अवस्थी (मानवाधिकार परिवार)
श्रीमती आशा अवस्थी (जबलपुर,म.प्रदेश)
'शेर' मिथिलेशसिंह चौहान(पार्षद-लोहियानगर)
श्रीमती शोभा-आशुतोष अवस्थी (हरदोई)
प्रो.एस.पी.दीक्षित(पूर्व पत्रकारिता प्र. लविवि)
श्री राजेश मोहन मिश्र (साहित्य प्रेमी)
श्री कैलाश प्रकाश त्रिपाठी "पुंज" (वरिष्ठ कवि)
श्री आनन्दमोहनद्विवेदी(राष्ट्रपति से सम्मानित शिक्षक,उन्नाव)-प्रो. वी.जी. गोस्वामी (ला)
डा. प्रतिभापाण्डेय-श्री विपिन पाण्डेय(कानपुर)
श्री राजीव कुमार शुक्ल "राजू" (वाराणसी)
श्री रामेश्वर पाण्डेय (पूर्व संपादकीय प्र.दै.जा.)
श्री संतोष कुमार त्रिपाठी (साहित्य प्रेमी)
श्री अलीन्द त्रिवेदी (स्व. रमईकाका के सुपुत्र)
श्री सच्चिदानन्द तिवारी "शलभ" (गीतकार)
श्री राजेन्द्र शुक्ल "राज" (शिक्षक कवि पत्रकार)
+सम्पत्ति कुमार मिश्र "भ्रमर बैसवारी" छंदकार-
अट्ठारह सौ तिरान्नबे, ग्यारा सितम्बर को,
अमेरिका ने शिकागो में, सम्मेलन कराया।
भारत के प्रति विश्व की दृष्टि बदलने को,
स्वामी ने वहां, धर्म-वेदांत-योग पढ़ाया।
दुनिया की परिपूर्ण, सबसे प्राचीन भाषा,
संस्कृत ही है समृद्ध, सबको समझाया।।
हिंदुत्व औ भारत पर, स्वामी का दृष्टिकोण,
सराहा सभी ने, एक स्वर से अपनाया।
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धर्म का मूल तत्व है, अच्छी सोच, सहिष्णुता,
अपनायें, पुराना गौरव फिर लायेंगे।
"भ्रमर" जो अपनाते, भारतीय संस्कृति को,
आपस में भाईचारा, प्रेम-दया पायेंगे।।
वेद की ऋचायें सभी, मानव कल्याणकारी,
अपनाने वाले कहीं ,धोखा नहीं खायेंगे।
बढ रही आपस में कटुता जो बैर भाव,
हिल-मिल रहे तो, वैमनस्य भुलायेंगे।।
+डा.सुरेश प्रकाश शुक्ल (साहित्य भूषण) -
'किन्नू' है संतरा कस,लाल-पीला बड़ा फल,
पंजाब मा फल क्यार, राजा कहा जाति है।
सरकारी सब्सिडी,लियौ पौधा,कराओ कृषि,
दूरि - दूरि दुइ सौ बीस, एकड़ अंबाति है।।
पाचन सुधारै, गैस - जलन भी ठीक करै,
बढ़ै कोलेस्ट्रॉल , देंह दमकति देखाति है।
कौनिव तनकि होय, एलर्जी ठिकाय ई से,
रस सेनी मिलै शक्ति , सब कोई खाति है।।
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द्वापर मा एक समय रसिक कन्हैया जी,
चित्रकूट गोपिनि संग , रास रचाए रहैं।
कैलाश पर्वत पर , देखि नृत्य भोलेनाथ,
गोपिका बनि पहुँचे, नाचे-गाए छाए रहैं।।
स्वयं बताइनि गोपेश्वर नाम - पहिचान,
जानि गे कन्हैया जी,शिव महिमा गाए रहैं।
तब से हियाँ भक्त संग जलाभिषेक करैं,
गोपेश्वर मन्दिर - शिवलिंग सजाए रहैं।।
+डॉ सत्यदेव द्विवेदी "पथिक" (महामंत्री प्रतिष्ठा)-
करुणा अभिभूत तभी समझो जब यत्न भरा तन डोलता हो । वह मानवता प्रतिमूर्ति तभी जब दीनन को मन खोलताहो।। जन संत स्वभाव तभी
समझो जब कर्म सुकर्मन तोलता हो । विसवास तभी जनमें समझो जब बात हिये तल बोलताहो।।
+कर्नल प्रवीण त्रिपाठी(नोएडा)-
श्री गणेश हर मन बसे, रिश्ता परम पुनीत।
पूजन कीर्तन सब करें, गाते पावन गीत।।
रिद्धि-सिद्धि के नाथ प्रभु, गणपति आये द्वार।
प्रभु के ही आशीष से, हो सुखमय संसार।।
लंबोदर हर रूप में, हृदय बसें हैं आप।
प्रभु ऐसा आशीष दें, मिटें सभी संताप।।
+श्री मयंक किशोर शुक्ल "मयंक"-कौन घिसेगा चंदन भाई कौन करेगा वंदन भाई। अतिथि द्वार पे "मयंक" तुम्हारे, कौन करे अभिनन्दन भाई।
+श्री नन्दलालमणि त्रिपाठी (गोरखपुर)-
भगवान भाग्य कर्म काल, जन्म जीवन अवसर उपलब्धि उद्देश्य मर्म महत्व चलभाष।।
निराकार साकार निर्विकार मन आत्मा बुद्धि सांचार ज्योति ज्वाला मुमकिन मुस्कान मार्ग चलभाष।। सानिध्य सत्कार जीवन व्यवहार सत्य सार्थक संपत पुज्य चरित्र चमत्कार चलभाष।।
बचपन युवा किशोर जवानी जरा असहाय बीमार लाचार साँसों धड़कन में मृत प्रायः की विलक्षण विराटता बैभव 'बैसवारी'।।..
+सुकाव्य-सर्वश्री-गोबर गणेश, मनमोहन बाराकोटी, नीतू मिश्रा, शीलावर्मा 'मीरा..
+संयोजक सम्पत्ति कुमार मिश्र "भ्रमर बैसवारी" ने सभी मनीषियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।