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कविता साथी हाथ बढ़ाना-sahityakunj

साथी हाथ बढ़ाना
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हम मानव हैं
हमारी जिम्मेदारी है
संवेदनाओं को स्वर दीजिये,
जितना संभव हो 
हर किसी की मदद कीजिये।
मदद का हाथ बढ़ाइए
सहयोग संवेदनाओं की
नयी इबारत लिखिए,
औरों के भी हाथ यूँ ही
मदद के लिए बढ़ते रहें
जीवन भर ऐसा उपक्रम भी
सदा करते रहिए,
मदद का हाथ बढ़ाते रहिए।
● सुधीर श्रीवास्तव
      गोण्डा, उ.प्र.
   8115285921
©मौलिक, स्वरचित

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