गजल
आज मन मेरा मचल गया एकबार फिर से,
किसी नाजनी पर आ गया दिल एकबार फिर से।
हसरतें थी उनसे मिलने की सिर्फ एक बार,
आज हो गया दीदार उनका एकबार फिर से।
सोचा नहीं था विछड कर मिलेंगे फिर कभी,
मेरे अंजुमन में वे आये एकबार फिर से।
खत्म होगा यह पतझड़ आयेंगे अच्छे दिन,
आयेगी मेरे जीवन में बहारें एकबार फिर से।
मेरा दिल भी अजीब है,नटवरलाल तरह,
कौन जाने किस पर हो जाये फिदा एकबार फिर से।
कब तक रहूंगा इस जहाँ में मैं तन्हा अकेला,
आओ बसायें अपनी जिंदगी एकबार फिर से।
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अरविन्द अकेला