🌸🌸जिन्दगी की गजल 🌸🌸
मापनी - 212-212-212-212=20
है चढ़ाई कहीं ढाल है जिन्दगी l
और सुख दुख कि तिरपाल है जिन्दगी ll
यह नदी की बहिन बाढ़ती सूखती l
रोड सी मोड़ है चाल है जिन्दगी ll
हार की जीत है जीत की हार है l
है फटेहाल जंजाल है जिन्दगी ll
रस अलंकार कविता कि मलिका यही l
छन्द है और सुर ताल है जिन्दगी ll
हीर है पीर है और जंजीर है l
एक ही प्रश्न क्या, हाल है जिन्दगी ll
जिन्दगी वेदना और संवेदना l
श्री कमल से भरा ताल है जिन्दगी ll
जिन्दगी कर्ज है मर्ज है फर्ज है l
नित नया दिन नया साल है जिन्दगी ll
प्रेम आनंद संगम मिलन है "सरित" l
मोर मणि कृष्ण सा भाल है जिन्दगी ll
ग्राम कवि सन्तोष पाण्डेय "सरित" गुरु जी गढ़ रीवा (मध्यप्रदेश) 8889274422 /8224913591
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