*लाल बहादुर नाम था उनका*
"राजनीति के अंगारों पर उनके ठोस विचारों को तपना था"
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साधारण जीवन और उच्च विचार जिनके जीवन का सपना था।
जियो और जीने दो सबको यह विचार जिनका अपना था।
दो अक्टूबर उन्नीस सौ चार को यू,पी की मुगलसराय में वह जन्मा था
दूसरा प्रधानमंत्री बनकर राजनीति में जिसको खपना था।
मरो नहीं मारो का नारा भारत में बड़ा ही बुलंद हुआ।
अमेरिका हो या पाकिस्तान लाल बहादुर शास्त्री को कभी नहीं झुकना था।
पड़ोसी अगर भाई सा व्यवहार करें तो जान निछावर करते थे
वरना पड़ोसी को धूल चटा कर भारत का दम भरना था।
छोटे कद के होने पर भी विराट व्यक्तित्व के मालिक थे
राजनीति के इन अंगारों पर उनके ठोस विचारों को तपना था।
शारदा प्रसाद रामदुलारी के लाल ने ऐसा करिश्मा कर दिखलाया
जय जवान जय किसान का नारा देकर किसानों में उनको निभना था।
लाल बहादुर नाम था उनका बहादुरी का परचम भी लहराया
दुश्मन की कमर तोड़ दी पैसठ में पाक में संकट गहराया था।
राजनीति में शुचिता हो ऐसे उनके जीवन की पावन अभिलाषा थी
इस कर्मवीर का मकसद भी खुद जागना और सारे भारतीयों को जगाना था।
लेकिन आस्तीन के सांपों ने ताशकंद में उनको डस लिया
मुरझा गई ये भारतीय राजनीति भी उस फूल को कभी नहीं खिलना था।
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*दिल है कि मानता नहीं*
"नींद में उठकर पूछता है इश्क का मसीहा भी रात में आया तो होगा"
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मेरे अल्फ़ाज़ पढ़कर तुम्हारा दिल भी मचलता तो होगा
मेरे जज्बात समझ कर तुम्हारा दिल भी पिघलता तो होगा।
मेरी बेकरारी अब तो हद पार कर रही है तुम्हें याद करके
मेरे दिल की आवाज सुनकर तुम्हारा दिल भी धड़कता तो होगा।
हमारे दिल ने जो ख्वाब पाल रखा है तुम्हारी आंखें देखकर
ख्वाब को हकीकत मे बदलता देख तुम्हारा भी अरमां निकलता तो होगा।
तुम्हारी आंखें तुम्हारे जज्बात बयां करती है सामने आने पर
आंखें जब तुम्हें देखती हैं तुम्हारे चेहरे का रंग बदलता तो होगा।
हसरतें कभी कम नहीं होती जब तुम हमारे ख्यालों में होते हो
आईना जब भी देखती हो तुम्हारा हुस्न निखरता तो होगा।
तुम्हारे लिए जो अल्फ़ाज़ चुने थे मैने आज ग़ज़ल में लिख डाले
चाहत की आग का शोला भी तुम्हारे दिल में धड़कता तो होगा।
दिल है कि मानता नहीं इस नादान दिल को अब कौन समझाए
नींद मे उठकर पूछता है इश्क का मसीहा भी रात में आया तो होगा।
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*सत्यम शिवम सुन्दरम*
"चारों वेदों का पावन सार तत्व सत्यम शिवम सुन्दरम कहलाया है"
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सत्यम शिवम सुन्दरम शिव की महिमा को जिसने अपनाया है
संसार में उसने इस जीवन को सबसे सुंदर और पावन बनाया है।
शिव ही सुंदर है तीनो लोको मे शिव ही अटल सत्य की खान है
शिव की पूजा कर देव और मानव ने भी अपना भाग्य जगाया है।
अपने जीवन मे जिसने भी अटल सत्य का ज्ञान उतारा है
विपरीत परिस्थितियों में कैसे जीना शिव ने हमें सिखाया है।
परम सत्य नारायण ने खुद शिव की सुंदर महिमा गाई है।
संघारक है शिव इस जीव का ईश्वर ने यह पाठ पढ़ाया है।
जब तक शिव हैं तब तक जीव हैं शिव ना हो तो यह शव बन जाता है
चारों ही वेदों का पावन सार तत्व सत्यम शिवम सुन्दरम कहलाया है।
मौत अटल सत्य है शिव सुंदर हैं दोनों से यह सुंदर जीवन चलता है
इस अटल सत्य को जिसने समझा उसने ही मुक्ति का मार्ग पाया है।
सत्यम शिवम सुन्दरम तीनो ही शब्दो को आत्मसात करना होगा
इसीलिए इस ब्रह्म वाक्य को सब ऋषि-मुनियों ने भी दोहराया है।
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स्त्री भी देवी का रूप है*
स्त्री भी देवी का रूप है इसकी इज्जत करना भी धरती पर जरूरी है"
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स्त्री भी देवी का रूप है संसार श्रजन करके अपना विस्तार बढ़ाती है
इसीलिए स्त्री धरती पर घर-घर में देवी के रूप में पूजी जाती है।
संस्कार और संस्कृति इसकी ममता की गोद में प्यार से पलते हैं
निर्माण और प्रलय की माता इसीलिए स्त्री ही कहलाती हैं।
जिस घर में स्त्री देवी की तरह पूजी जाती हैं वह घर स्वर्ग बन जाता है
आंचल में अमृत कलश छिपाएं संतान के लिए ही अमृत बरसाती है।
इसीलिए नारायण भी धरती पर इसकी कोख से जन्म लेने को आते है
संतान की सारी बाधाएं स्त्री अपनी झोली में भर लेती है।
स्त्री धरती की पावन धड़कन है और यह प्रकृति की शीतल छाया है
घर में सबको भोजन करवाकर अंत में ही यह भोजन पाती हैं।
स्त्री अगर नहीं होती तो मनुष्य भी इस पावन धरा पर नहीं आता
दुनिया भी इसके चरणों में अपना गर्व से उठा शीश झुकाती हैं।
स्त्री भी देवी का रूप है इसकी इज्जत करना भी धरती पर जरूरी है
स्त्री ही वह शक्ति है जो मानवता को इस पावन धरा पर बसाती है।
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*कभी यह अरमां छुपाते है*
"गमों की बस्ती में आकर ये भी अपना आशियाना बनाते हैं"
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शमा भी जिस आग में जलती है अक्सर नुमाइश के लिए
ये शायर भी उसी आग मे अपनेआप ही जल जाते हैं
जब कभी आता है गजल के साथ किसी शायर का नाम
ये लोग भी उसकी ग़ज़ल को तरन्नुम में गुंगुनाते है।
शायरी लिखने के लिए ये यहा पर तमाम अल्फ़ाज़ ढूंढते हैं
कभी तो रात ढल जाती और कभी दिन ढल जाते हैं।
गजल किस पर लिखना है ये ग़ज़ल क्यों लिखना है
गजल जिसपर लिखना है ये उसे अपने दिल मे बसाते है।
कभी दिल को ये पत्थर लिखते तो कभी शीशा लिखते है
कभी ये रोने लगते हैं कभी ये हंसने भी लगते है।
जमाना शायरों को पागल और दीवाना ही समझता है
गमों की बस्ती में आकर ये खुद अपना आशियाना बनाते है।
गजल लिखते समय इनका दिल ओर भी नासाज होता है
कभी अपने अरमां छुपाते है तो कभी ये अरमां दिखाते है।
सीताराम पवार
उ मा वि धवली
जिला बड़वानी
9630603339
Physics Class 12 Chapter 1 Important Questions For UP Board 2021
A FELLOW TRAVELLER— A.G. Gardiner, Lesson-2, MIQ Solution, Prose, Class-12th.
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