कार्तिक शुक्ल पक्ष को षष्ठी,
माता की पूजा होती है,
घर,व्दार,चौक चौराहे चारों,
तरफ साफ सफाई होती है,
बड़े ही कठोर तपस्या का,
ये पर्व है,
पूर्वी भारत में वैदिक काल से,
ये पर्व मनाया जाता है,
बड़े ही विधि विधान से पूजा,
की जाती है,
चार दिन का ये पर्व होता है,
अन्न,जल का त्यागकर औरतें,
इस दिन भक्तिमय व्रत करती है,
इस दिन छठी माता की बड़ी,
कृपा अपने भक्तों पर होती है,
गंगा घाट, नदियों में बड़ी ही,
रौनक होती है,
यह नहाने से लेकर पारन तक,
नियम धर्म सब करते हैं,
सूर्यदेव को अर्घ्य चढ़ाया जाता है,
चावल,हल्दी, कुमकुम, नारियल, गन्ना,
आदि से सूपे को सजाया जाता है,
फिर उसी में दीपक रखकर पूजा जाता है,
बड़ा ही भक्तिमय माहौल होता है,
सब भक्त माता के भजन में लीन रहते हैं,
पूरी तरफ आनन्दायक दृश्य होता है,
जात पात धर्म को भूलाकर सब
माता की पूजा अर्चना करते हैं,
ठेकुआ, मालपूआ,खीर पूड़ी आदि ,
प्रसाद दिया जाता है,
छठ का पर्व बिछड़ों को भी इस दिन,
मिला देता है,
छठी माता अपने भक्तों की सभी मन्नतें पूरी करती है,
आज देखो एकता की कैसी छाई एक रोशनी है,
बड़ा ही अद्भूत नाजरा है,
भक्तों को मिलता माता से सहनशक्ति है,
आज देखो कितना सुन्दर मनोरथ दृश्य होता है,
तरह तरह की मिठाईयां बनाई जाती है,
जो रिश्तों में मिठास लाती है,
औरतें गंगा घाट में घुस कर जल में खड़ी रहती है,
फिर संध्या को सूर्य देव को अर्घ्य देती है,
सब मिलजुल कर माता से प्रार्थना करते हैं,
छठी माता अपने भक्तों की सुनती पुकार है,
और सब इच्छा करती पूरी हैं,
चारों तरफ छठ माता का जयकारा होता है,
पारन के दिन लगता फिर मेला है,
उस दिन सब जन मिलकर प्रसाद ,
खाते हैं,
शत शत नमन आपको हे छठी माता।।
कुमारी गुड़िया गौतम (जलगांव) महाराष्ट्र