नरक चतुर्दशी
नरक चतुर्दशी पर्व यह , देता है संदेश ।
कभी अधर्म न कीजिये , देश हो या परदेश ।।
नरकासुर के नाम का , भौमा असुर नरेश ।
प्रागज्योतिषपुर नगर , यह था उसका देश ।।
धरती का था पुत्र वह , भला नही था काम ।
बेटा उसका था बली , भगदत्त: था नाम ।।
सोलह सहस्त्र नृपजा , अपहरतहि ले आय ।
एक साथ शादी करें , उसके मन में आय ।।
श्री कृष्णहि से बैर कर , अनुचित कीन्हा काम ।
मृत्यु हुई मर कर गया , सीधा प्रभु के धाम ।।
कन्या पूजन कीजिये , शोषण करें न कोय ।
नारी का गौरव बढ़े , सम्मानित सब होय ।।
लक्ष्मि दुर्गा सरस्वती , पूजत है सब लोग ।
पूजनीय माता सरस , दृष्टि न चाहे भोग ।।
नरकासुर नारी हरी वध कीन्हा है कृष्न ।
जो नारी को अपहरत , उनकी गति का प्रश्न ।।
नरक नहीं जाना पड़े , पूजन कर लो आज ।
हरदम हरि का नाम जप , पावन परमहि काज ।
नमन है नारायण तुम्हें , यम को नमन करूं ।
मामा पिता है आप दोउ , लेकर नाम मरूं ।।
राजेश तिवारी 'मक्खन'
झांसी उ प्र