वीर बालक जो है हकदार
एक कहानी उन बच्चो की
जो बाल दिवस के है हकदार
हमारे देश के दो वीर बालक
जोरावर सिंह फतेह सिंह
चुनवा दिया दीवारों में
रखे ईंट को गिन गिन
है हकदार ओ बालदिवस के
फतेह और जोरावर सिंह
त्याग ना किया जो धर्म को अपने
ना मौत से घबराए थे
बदले थे कुछ धर्म को अपने
ओ अपना धर्म निभाए थे
नाबालिक सिकंदर थे दोनों
उनमें हिम्मत और चिंगारी थी
धर्म बदलना तो बहुत दूर रहा
उन्हें देश की मिट्टी प्यारी थी
उस उम्र में उनको घृणा उससे
जो करे देश से गद्दारी भी
इसलिए इनका सर कभी भी झुका नहीं
क्यूंकि उनके अन्दर सरदारी थी
स्वरचित रचना
दीपक कुमार विश्वकर्मा
मुबारकपुर गेरिया
फतेहपुर उत्तर प्रदेश