कविता
बहुत हो गये अपने देश में गद्दार
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बहुत हो गये अपने देश में गद्दार,
कर रहे देश की इज्जत तार-तार,
रहते,खाते वे अपने देश में,
गाते वे दुश्मन के गुण हजार।
बहुत हो गये...।
कोई हमपर सांस्कृतिक चोट पहुँचाते,
कोई करते हमारे देवता पर प्रहार,
कोई मेरे देश के दुश्मन से मिलकर ,
दिलवाते हमें करारी हार।
बहुत हो गये...।
हमारे यहाँ कई सफेदपोश हैं ऐसे,
जिनके हैं देश-विरोधी विचार,
मिलते ये आतंकी संगठनों से,
पर कभी नहीं कहलाते ये गुनाहगार।
बहुत हो गये...।
कुछ गद्दार हिन्दु को आतंकी कहते,
खुद को बताते देश का वफादार,
अब तो जागो मेरे देश के नौजवानों,
जागो मेरे देश के पहरेदार।
बहुत हो गये...।
ऐसे लोगों को पहचानो जनता,
जो कर रहे देश पर जुल्म,अत्याचार ,
दे दो इनको वोट से चोट,
या कर दो इनका समूल संहार।
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अरविन्द अकेला