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दीवाली मना के गया नवम्बर-sahitykunj

// संकल्प//



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जागरुकता समाज में,हमें लाना होगा ‌।

समाज सेवियों से,हाथ मिलाना होगा ।।

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मिला कर हाथ, सेवा क्षेत्र हम बढ़ायेंगे ।

जरुरत मंद को,यह लाभ दिलाना होगा ।।

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जो आदी हो गया,नफरती जाम पीने का ।

मुहब्बतों का जाम,उसको पिलाना होगा ।।

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जिसे हर वर्ग के,मर्यादा-पुरुष कहते हैं ।

हम,उनके वंश हैं,यह याद दिलाना होगा ।।

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वचन के पक्के हैं,वचनों को  निभाते हैं ।

अमल में यह परम्परा, हमें लाना होगा ।।

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प्रतिष्ठा को समाज की, बनाये रखना है ।

रीति-रिवाज पूर्वजों के, चलाना होगा ।।

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दीवाली मना के गया नवम्बर,

दीवाली मना के गया नवम्बर,

देखें उत्सव धरती-अंबर ।

तेरह दिसम्बर तक चलेंगे,

नव दम्पत्तियों के स्वयंवर ।।

       सभी माहों को जाना होगा,

       कोई नहीं यहां परमानेंट । 

       धिक्कार,नवम्बर जाते-जाते,

       दे गया क्यों नया वेरिऐंट ।।

न जाने क्या गुल खिलायेगा,

आगन्तुक माह बारह नम्बर ।

दो हजार इक्कीस का यह,

जाने वाला माह दिसम्बर ।।

       स्वागत करें,शुभ कारी हो,

       इस वर्ष का अंतिम मास ।

       दो हजार वाईस में न रुकें,

       असमय में,मानवीय स्वांस ।। 

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रचना --लखन कछवाहा 'स्नेही'

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