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छठ पूजा कवि सम्मेलन सम्पन्न-sahitykunj


छठ पर्व के अवसर पर 

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन 

छठ पर्व आस्था,विश्वास व भक्ति का प्रतीक:श्रीराम रॉय

बड़ा पावन यह छठ पर्व त्योहार ,
इसमें बहती प्रेम-भक्ति की बयार : अरविन्द अकेला

छठ पर्व पर्व आस्था,विश्वास व भक्ति का प्रतीक है,जिसे सभी को मिल जुलकर करनी चाहिए। 
      उपरोक्त बातें वरिष्ठ पत्रकार एवं हिन्दी दैनिक "दस्तक प्रभात "के प्रधान संपादक प्रभात वर्मा ने छठ पर्व के अवसर पर "साहित्यकुंज "द्वारा ऑनलाइन आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का उद्धाटन करते हुये कही। सम्मलेन के मुख्य अतिथि के रूप में औरंगाबाद के वरिष्ठ समाजसेवी अमिताभ सिंह "मुन्ना जी" ,विशिष्ट अतिथि वरीय कवियित्री    गीता पाण्डेय
"'अपराजिता" (रायबरेली)एवं छतीसगढ के वरीय फिल्मी कलाकार व कवि सुनीलदत्त मिश्र ने ने कहा कि "साहित्यकुंज" का हर आयोजन सामाजिक सरोकार,भक्तिभाव एवं जन सरोकार से ओतप्रोत होता है।
      "साहित्यकुंज " के महासचिव एवं वरीय रचनाकार अरविन्द अकेला ने अपनी कविता की इन पंक्तियों से -:"बड़ा पावन है यह छठ व्रत,त्योहार,
इसमें बहती प्रेम भक्ति की बयार "से अतिथियों का स्वागत करते हुये सबका दिल दिल जीत लिया।
      झाँसी से पधारे वरीय कवि राजेश तिवारी"मक्खन" की अध्यक्षता,साहित्यकुंज के कार्यकारी अध्यक्ष एवं वरीय कवि श्रीराम राय के कुशल संयोजन एवं चंडीगढ से पधारीं वरीय कवियित्री रेणु अब्बी "रेणु" के कुशल संचालन में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में वरीय 
कवियित्री अन्नपूर्णा मालवीय"सुभाषिनी"(प्रयागराज),रजनी वर्मा (भोपाल), डॉ मीना कुमारी परिहार (पटना),
प्रकाश कुमार 'चंदन'
(मधुबनी),कलावती
 करवा षोडश कला,
स्वाति जैसलमेरिया (रेवा),रंजना बिनानी काव्या 
वीना आडवानी तन्वी,
आरती तिवारी "सनत"
(दिल्ली),मधु भूतड़ा "अक्षरा",मधु वैष्णव "मान्या",निर्मल जैन 'नीर'(उदयपुर),नागेंद्र
 कुमार दुबे'केसरी', (औरंगाबाद),उदय शंकर चौधरी नादान( दरभंगा),
राधातिवारी"राधेगोपाल"
(उत्तराखण्ड),संत कुमार सारथि,डॉ.अम्बे कुमारी (गया),सुरेश कुमार जांगिड़,अरविन्द अकेला (पटना),प्रीति हर्ष
(नागपुर),हीरा सिंह कौशल (हिमाचल प्रदेश ),डॉक्टर रश्मि शुक्ला(प्रयागराज), 
डॉ ब्रजेन्द्र नारायण द्विवेदी: शैलेश"
(वाराणसी)कुमारी चन्दा,आरती सिंह चौहान एवं गीता पाण्डेय "अपराजिता"(रायबरेली)सहित तीन दर्जन कवि व कवियित्री ने अपनी अपनी रचनाओं व गीतों से संपूर्ण वातावरण को काव्यमय व भक्तिमय बना दिया।
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