कविता
हम हैं कायस्थ
हम हैं कायस्थ अपने वतन के,
हमें खुद पर है अभिमान,
हमसे है यह देश गौरवान्वित,
हमसे बना यह देश महान।
हम हैं सृष्टि उद्भव के साक्षी,
स्वर्ग में भी है मेरा आदर सम्मान,
हम हीं हैं सनातन हिन्दु,
हिन्दुत्व मेरी रग-रग पहचान।
हम हैं श्रीचित्रगुप्त के वंशज,
जो हैं भगवान ब्रह्मा की संतान,
श्रीचित्रगुप्त हैं जन्म- मरण के ज्ञाता,
जिनका स्वर्ग में है ऊँचा स्थान।
पृथ्वी पर भी सम्मानित हैं हम,
देश-विदेश है अपना मान,
मेधा के पुजारी हैं हम,
कलम है अपनी आन-बान-शान।
हम हैं शक्ति के उपासक,
राष्ट्र धर्म का है हमें भान,
देश सेवा में अपनी जान दे देते,
करते हैं हम विश्व का कल्याण।
स्वतंत्रता संग्राम में हमने दी कुर्बानी,
भारतीय संविधान का किया निर्माण,
जब भी पड़ी देश को मेरी जरूरत,
देश के लिए दे दी अपनी जान ।
-----0-----
अरविन्द अकेला