परिधान पीला लाल,
लहराया ऊषा काल,
आसमान का निखार,
देखें प्रातः काल में!
धवल नवल रुप,
सुहावनी खिली धूप,
गगन में गोलाकार,
उदित हैं प्राच्य में!
उष्मित सदा सर्वदा,
सुखकर हैं सर्वथा,
प्रखर किरणों संग,
उतरे संसार में !
शरद ऋतु मद्धम,
ग्रीष्म जलाए बदन,
बरसात लुका छिपी,
बादलों के साथ में!
सुषमा सिंह
औरंगाबाद
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( सर्वाधिकार सुरक्षित एवं मौलिक)