मन करता है
मन करता है मेरा गोरी,
खेलूँ तेरे संग यह होली,
मेरे रंग तुझे स्पर्श करे,
तेरे तन-मन और चोली।
मन मेरा बासंती हो रहा,
बह रही फागुन की व्यार,
आओ थोड़ा पास मेंरे,
करें कुछ हंसी ठिठोली।
तुम बन जाओ मेरी राधा,
मैं तेरा कृष्ण कन्हैया,
आओ मिलजुल खेलें सब,
बन हुडदंग की टोली।
जानें फिर हम होंगे कहॉं,
कहीं बीत नहीं जाये यह रैना,
आओ भींगे तेरे रंग में,
प्यार से भरी यह होली।
@अरविंद अकेला
-----0-----