१ सीताराम पवार: *परायो को गले लगाया जाता है*
"यहां होता हुआ अपनों का अपमान देख कर रो देता हूं"
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जिंदगी के सफर का अंजाम देख कर रो देता हूं
अपने टूटे हुए दिल के अरमान देख कर रो देता हूं।
रोता हूं कि अपनी इन आहो में असर हो लेकिन
अपनी उजड़ी हुई जिंदगी का जहान देख कर रो देता हूं।
यहां तो सियासत के ऊंचे ऊंचे ये सजर लगे हुए हैं यारों
अपनी सियासत का बियाबान देख कर रो देता हूं।
इन बेईमानों में ईमान मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है
अपनी नेकियों का मिला यह इनाम देख कर रो देता हूं।
यहां दौलत के लिए गरीबों की बस्तियां उजाड़ने से गुरेज नहीं
झोपड़िया तोड़कर बनाया ऊंचा मकान देख कर रो देता हूं।
यहां रिश्तो की अहमियत नहीं दौलत की कीमत होती है
जिंदगी भर ईमान से कमाई का सामान देखकर रो देता हूं।
यहां अपनों को कभी नहीं परायो को गले लगाया जाता है
यहां होता हुआ अपनों का अपमान देख कर रो देता हूं।
छोड़ पवार क्या रखा है जालिम जमाने की बातों में।
लेकिन इस दिल में उठते हुए तूफान देख कर रो देता हूं।
२ सीताराम पवार: *अँजुरी भर धूप*
"धरा गगन आग और पानी हूं मै तुम धूप समझकर पिया करो"
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अँजुरी भर धूप समझकर तुम कभी कभी मुझको पिया करो
जर्रा जर्रा समझकर कभी तुम भी मुझको जिया करो।
मैं भी इस धरती ही का तिनका हूं मुझको भी तो जीना है
मेरे अंदर ही तुम हो अपने अंदर तुम भी मुझको लिया करो।
शीतल मंद बयार सा हूं मगर गर्म हवा सा फिरता हूं।
कभी कभी मुझको भी तुम अपने आंचल की छांव दिया करो।
अनजाने रास्ते पर निकला हूं मैं यहां खुद की तलाश मे
मिल ही जाएंगी आखिर मंजिल खुद पर विश्वास किया करो।
अपने लिए तो जीता हूं औरों के लिए भी जीना मैंने सीख लिया
गर फटा हुआ है आसमान तुम भी अपने हिस्से का सिया करो।
और नहीं कुछ कहना है यारों यह बस्ती समझदारो कि है
लाख दुश्मनी है सबसे फिर भी तुम हाथ मिला लिया करो।
सब मेरे हैं मैं सबका हूं इस आस पर अब तक जिंदा हूं।
धरा गगन आग और पानी हूं मैं तुम धूप समझकर पिया करो।
३ सीताराम पवार: *तूफानों को बिखरते देखा है*
"गरीबी की गहरी खदानों से मैने हीरो को निकलते देखा है"
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गरीबों की बस्ती में धनवानो को गरजते देखा है।
इनकी गरज से गरीब इंसानों को लरजते देखा है।
गरीबी ईमान का और अमीरी बेईमानी का खेल है।
इन दोनों के बीच ही नादानो को रोटी के लिए तरसते देखा है।
शोहरत और रुतबा पाने से इंसान अमीर नहीं बनता
गरीबी की गहरी खदानों से मैने हीरो को निकलते देखा है।
नियत जिसकी साफ हो बरकत भी वहां आने को तरसती है
यहा नेकिया लुटाने वाले दीवानों को मैने निखरते देखा है।
सच कहा है लोगों ने इंसानों के रूप में भगवान मिल जाते हैं
भिखारी के रूप में धनवानो के ये ओहदे बदलते देखा है।
धन से अगर गरीब है तो वह दुआओं से मालामाल होता है
इनकी दुआओं से मैंने इमानो का भी नूर बरसते देखा है।
अमीरी और गरीबी इस उफनती नदी के दोनों किनारे हैं
इन किनारों से टकराकर मैने तूफानों को बिखरते देखा है।
४सीताराम पवार: *आशिक आंसू के जाम पीते है*
"गजल मेरी हो गई मुकम्मल यह खुदा की ही खुदाई है"
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दिलजलों की महफिल में मैने अपनी ये ग़ज़ल गायी है
दास्तान ए मोहब्बत मैंने सारे जमाने को सुनाई है।
मेरी गजल के शेर सुनकर दिल धड़कने लगा उनका
बेवफा बगले झांकने लगी और वफ़ा यहां मुस्कुराई है।
प्यार की तोहीन का अंजाम क्या होता है उसने देख लीया
मुंह में पल्लू ठूसकर वह भी रोकने लगी अपनी रुलाई है।
यह लफ्ज़ नहीं तीर थे जो दिल छलनी करने लगे
भरी महफिल उस बेवफा की होने लगी रुसवाई है।
महफिल भी गमगीन हुई दीवानों को अब होश कहां।
लफ्ज़ दिल में उतरने लगे और सीने मे भी आग लगाई है।
ये गज़लों गम की दुनिया मे आशिक भी आंसू के जाम पीते है
मर मर कर जीना नसीब हुआ ये ऐसी ही बेरहम जुदाई है।
सांसों से बंधी तनहाई है यह जुदाई का आलम है
गजल मेरी हो गई मुकम्मल यह खुदा की बस खुदाई है।
५ सीताराम पवार: *रब ने उसे हमारे लिए बनाया नही*
"तकदीर ही सो गई अब हमारी रब ने उसे जगाया नही"
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बेपनाह प्यार किया जिससे वह लौटकर आया नही
मेरे बेकरार दिल को उसके सिवा कोई भाया नही।
शिद्दत से प्यार करने मे हम तो बर्बाद हो गए यारो
उसने तो कुछ खोया नहीं और हमने भी कुछ पाया नही
तन्हा जिंदगी में उनके आने की उम्मीद लगाए बैठे है
आंखें रास्ता देख रही उस रास्ते से कोई आया कोई गया नही।
उससे जो प्यार का हसीन रिश्ता हमने जोड़ा था
किस्मत ही खराब थी हमारी उसने वह रिश्ता निभाया नहीं।
जब भी याद उसकी आती है दिल बेचैन हो जाता है
उसने जो जख्म दिया उसे अभी हमने भी सिलाया नही।
सुना था जिसको टूट कर प्यार करो वो मिल ही जाता है
छोड़ पवार उनकी बातें रब ने उसे हमारे लिए बनाया नही।
मायूस होकर हमने अपने प्यार को खुदा पर छोड़ दिया
तकदीर ही सो गई अब हमारी रब ने उसे जगाया नही
६ सीताराम पवार: *सजनी झांक रही सात समंदर पार*
"साजन गए वतन की सरहद पर वो खूनी होली खेल रहे"
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उनका हमको दीदार हुआ इस रंग बिरंगी होली मे
दिल में हमारे बजने लगे सितार इस रंग बिरंगी होली मे
हसरते भी हो गई जवान इन सात रंगों के आने से
उनसे भी हो गए नैना चार इस रंग बिरंगी होली मे।
गेर खेलने निकली टोली मन में ये हसीन अरमान लिये
फिर होने लगी रंगों की बौछार रंग बिरंगी होली मे।
रंगों की पिचकारी से उसने तन मन सारा रंग डाला
नजरों से रंग हुआ दिल के पार इस रंग बिरंगी होली मे।
रंग लगाते समय उसको हमारा भी दिल हलकान हुआ
बुरा नहीं वो मानेगी दिल को अब एतबार हुआ रंग बिरंगी होली मे।
क्या यह वही बालाएं हैं जो छुईमुई सी ही चुप रहती थी
आज बनी सभी दुर्गा का अवतार इस रंग बिरंगी होली मे।
साजन गए वतन की सरहद पर वो खूनी होली खेल रहे
सजनी झांक रही सात समंदर पार अबके रंग बिरंगी होली मे।
७ सीताराम पवार: *मोहब्बत की फितरत भी अजीब है*
"मौत एक दिन मे तो नहीं आती मगर एक दिन जरूर आती है"
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मौत पर भी यकीन है हमको और उनपर भी एतबार है
दोनों ही मेरी इस जिंदगी के बराबर के हिस्सेदार है।
जो पहले आ गया हमको उसके साथ ही जाना है यारो
देखें सबसे पहले कौन आता है अब दोनों का ही इंतजार है।
सपनों में दोनों आते हैं और तन्हा छोड़ कर चले जाते है
बेताबी है इस दिल की रूबरू दोनों का होता नहीं दीदार है।
इबादत करते करते दोनों की अब तो मै थक गया हूं यारो
कैसे करूं हक अदा दोनों ही इस जिंदगी के हकदार है।
मोहब्बत की फितरत भी अजीब है दिल बेचैन रहता है
किसे अपनाउ किसे छोडू ये दोनों ही तो दावेदार है।
मौत एक दिन में तो नहीं आती मगर एक दिन जरूर आती है
कोई उनसे कह दे मेरी जिंदगी से खेलना अब बेकार है।
जो होगा सो देखा जाएगा कौन आता है और कौन जाता है
जो सबसे पहले आ जायेगा वही तो मेरा असली प्यार है।
८ सीताराम पवार: *हमे भी नेवला बनना होगा*
"ये खुद कुछ नहीं करते अलगाववाद के मोहरे है"
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आतंकी विषधर के हमको दिए घाव भी बहुत गहरे है
और हमारी इन सरकारो के कान भी तो बहरे है।
काबा और काशी में अब सुरक्षा बलो के पहरे है
लगता है ईश्वर अल्लाह के घर आतंकी आकर ठहरे है।
हर आतंकवादियों का कोई मजहब नहीं होता यारो
दौलत ही ईमान है इनका इनके ये ख्वाब अभी अधूरे है।
अभी भी जेलों में रखते हैं हम मानवता के इन हत्यारों को
अरे सीधे इनको भी गोली मारो झूठे सब कानूनी दायरे है।
ऐसे जहरीले सांपों को दूध पिलाना अब ठीक नहीं
बूटो की एड़ी से कुचलो इनकी फन को ये अवसर सुनहरे है।
गद्दारों की सूरत पर आतंकवादी तो नहीं लिखा होता
नकाब में छुपाकर रखते आतंकवाद के चेहरे है।
इनकी काली करतूतों से हजारों निर्दोष मारे जाते है
मजहब के नाम से धोखा देना इनके ये मंसूबे भी दोहरे है।
अगर यह जहरीले नाग है तो हमको भी नेवला बनना होगा
ये खुद कुछ नहीं करते आतंकवाद के मोहरे हैं
९ सीताराम पवार: *उसकी वजह तुम्ही तो हो*
"वर्ना इस खिजा के मौसम मे ये मधुमास नहीं होता"
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हर कोई हमारी इस जिंदगी में खास नहीं होता।
जो खास होता है वह कभी दिल के पास नहीं होता।
यकीन ना आए तो उस चांद को ही देख लो यारों
दूर होते हुए जिसका कभी दूर होने का एहसास नहीं होता।
गुलशन में बहार आई है तो उसकी वजह तुम्ही तो हो
वर्ना इस खिजा के मौसम मे ये मधुमास नहीं होता।
तुम पर और तुम्हारी मोहब्बत पर दोनों पर मुझे यकीन है
तुम भी मुझको धोखा दोगे मुझे इसका विश्वास नहीं होता।
होश की बात बड़ी बात होती है इश्क के दीवानों मे
शिद्दत से प्यार करने वाला भी बदहवास नहीं होता।
मोहब्बत करने वालों का दामन खुशियों से भरा होता है
नफरत करने वालों के पास धरती होती है आकाश नहीं होता।
जिसने खुद की खुशियां बांटी है दिल में दर्द संजोया है
दिल दुखाने वाले को इस दर्द-ए-दिल का आभास नहीं होता
सीताराम पवार
उ मा वि धवली
जिला बड़वानी
मध्य प्रदेश
9630603339