दिल आशिकाना
यूं तेरा मुस्कुराना,
यूं नजरें चुराना।
ये मौसम फागुन,
हाय दिल आशिकाना।।
खिले गुल गुंचे,
मादक महुआ बरसे।
रची बसी देहगंध,
हाय नजरें निशाना।।
सिहरते बदन में,
बदलते मौसम में।
दिल आशियाने में,
माशूक का समाना।।
अधर लाली सुहाए ,
रुखसार गुलाबी भाए।
सांस सांस शराबी ,
दिल तेरा दीवाना।।
तेरा ढुलकता आॅचल,
करे मुझको पागल।
हवा यह बसंती,
राग प्रीत गुनगुनाना।।
कोई मुझको बताए,
कोई आकर समझाए।
जिद्दी दिल से कैसे,
करुं कोई बहाना।।
सुषमा सिंह
औरंगाबाद
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