कविता
नहीं बनाओ भाई दुश्मन को
नहीं बनाओ भाई दुश्मन को,
नहीं उन्हें चारा डालो,
छोड़ो ऐसे दुष्टों का साथ,
दिल दिमाग से उन्हें निकालो।
नहीं बनाओ भाई...।
नहीं पालो आस्तीन के सांप ,
वे होते अपने बाप के बाप,
नहीं होती इन्सानियत उनमें,
ऐसे लोगों को मसल डालो।
नहीं बनाओ भाई...।
इन्हें पाल पोसकर पछता रहे,
अपना गम सबसे छिपा रहे,
कोस रहे आज खूद को,
ऐसे शैतान को नहीं पालो।
नहीं बनाओ भाई...।
नहीं रही उनमें इन्सानियत,
बढने लगी उनमें हैवानियत,
वक्त का नब्ज पहचानो "अकेला",
अब तो खूद को बदल डालो।
नहीं बनाओ भाई...।
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अरविन्द अकेला,पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना-27