कविता "जीवन का झरना"
चांदी सा रूप है
कल कल उसकी ध्वनि।
निर्मल कोमलता,
क्षण क्षण लहरों के
साथ मनमस्त होकर बहता ।
न किसी की आशा उसको,
न किसी से निराशा ।
अपने मन स्वभाव में
सबको जीवन दान देता।
झरना मन में
उल्लास लेकर निरंतर
बहता रहता है ।
वह मार्ग में आने वाली
प्रत्येक कठिनाइयों की
परवाह नहीं करता।।
झरना पेड़-पहाड़,
झाड़-झंखार, पर्वतों
आदि बाधाओं का
सामना करता हुआ
निरंतर बहता रहता ।
मस्ती में गाकर झरना
सबको जीवनदान देता है
खुशी के साथ बहता रहता है।
झरना हमें यह सीख है
देता कि बाधाओं की
परवाह न करते हुए
हमें निरंतर आगे बढ़ते
रहना है और निरन्तर
चलते रहना है।
सुंदरी अहिरवार
भोपाल (मध्यप्रदेश)