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कविता हम हैं कायस्थ_akela

कविता

    हम हैं कायस्थ 

हम हैं कायस्थ अपने वतन के,
हमें खुद पर है अभिमान,
हमसे है यह देश गौरवान्वित,
हमसे बना यह देश महान।

हम हैं सृष्टि के उद्भव के साक्षी,
स्वर्ग में भी है मेरा सम्मान,
हम हैं सत्य,सनातन हिन्दु,
हिन्दुत्व मेरी रग-रग पहचान।

हम हैं श्रीचित्रगुप्त के वंशज,
जो भगवान ब्रह्मा की संतान,
जन्म- मरण के ज्ञाता हैं वो,
स्वर्ग में जिनका ऊँचा स्थान।

पृथ्वी पर सम्मानित हम,
देश-विदेश में है मान,
मेधा के पुजारी हम,
कलम से है अपनी शान।

हम हैं शक्ति के उपासक,
राष्ट्र धर्म का हमें है भान,
देश सेवा में जान दे देते,
करते हैं विश्व का कल्याण।

स्वतंत्रता संग्राम में दी कुर्बानी,
किया हमने संविधान निर्माण,
जब भी पड़ी देश को जरूरत,
देश के लिए हमने दे दी  जान ।
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      अरविन्द अकेला,पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना-27
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