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विश्वास-सुशी सक्सेना-sahityakunj

विश्वास

मेरे विश्वास की डोर, कभी टूटने मत देना।
मना लेना मुझे, कभी तुम रुठने मत देना।

है विश्वास की, हाथ थाम कर चलोगे,
कैसा भी मोड़ आए, कभी छूटने मत देना।

मुसीबतों में रखना, मेरे विश्वास की लाज,
संभाल लेना मुझे, कभी टूटने मत देना।

इक विश्वास पर ही तो, कायम है ये रिश्ता
अहसास के इस रिश्ते, को टूटने मत देना।

जिस विश्वास के दम पर, दुनिया छोड़ दी मैंने
 शीशे सा संभाल रखना, उसे फूटने मत देना।

सुशी सक्सेना

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