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बेचारी हसरतें क्या करें- मोहब्बत कोई खैरात नहीं जो मुफ्त में ही मिल जाए_sahitya

*बेचारी हसरतें क्या करें*
मोहब्बत कोई खैरात नहीं जो मुफ्त में ही मिल जाए
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निगाहे उन्हें देखना चाहे तो आंखें बेचारी क्या करें |

हर पल याद उनकी आए तो सांसे बेचारी क्या करें

आने वाले सपने हमको पूछकर तो आते नहीं यारों

मगर सपने उनके आए तो बेचारी ये रातें क्या करें

मुश्किल से मिलते हम कहीं लब्ज फना हो जाते है

बात नहीं हो पाती तो बेचारी मुलाकाते क्या करें

रूठने और मनाने को ही हम हसीन प्यार कहते हैं

वह हमसे कभी रूठे नहीं बेचारी शरारतें क्या करें

बेपनाह इस मोहब्बत से ही उनको फुर्सत नहीं मिलती

अगर कोई उनसे मोहब्बत करें तो बेचारी नफरतें क्या करें

ये खूबसूरत चांद पाने की हर कोई तमन्ना रखता है यारों

मगर चांद किसी को नहीं मिलता बेचारी हसरते क्या करें

मोहब्बत कोई खैरात नहीं जो मुफ्त में ही मिल जाए 

नसीब में जो नहीं इसमें ये बेचारी सौगाते क्या करें

 सीताराम पवार
 उ मा वि धवली
जिला बड़वानी
 मध्य प्रदेश
9630603339
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