दोस्त साज़िश कमाल करते हैं।
मेरा मुश्किल में हाल करते हैं।।
मैंने सज्दे में सिर झुकाया तो।
मेरी गर्दन हलाल करते हैं।।
आजकल जाँ-निसार भी मेरे।
नफ़रतें ला-ज़वाल करते हैं।।
बा-ख़ुदा बेसहारा जानकर सब।
मेरा जीना मुहाल करते हैं।।
हाथ दुखती रगों पे रख कर फिर।
लोग मुझसे सवाल करते हैं।।
साथ मुश्किल में छोड़ने वाले।
ज़िंदगी भर मलाल करते हैं।।
देखकर वालिदैन की सूरत।
हम खुदा का ख़याल करते हैं।।
क़ल्ब में चक्रपाणि ख़ंजर भी।
बारहा बद-ख़िसाल करते हैं।।
2122 1212 22
~हिमांशु चक्रपाणि
१) जाँ-निसार—समय पड़ने पर जान की बाजी लगा देने वाला
२) ला-ज़वाल—शाश्वत, जिसका अंत नहीं हो
३) बा-ख़ुदा—ख़ुदा की क़सम
४) वालिदैन—माता-पिता, माँ-बाप
५) क़ल्ब—हृदय, दिल, मन
६) बारहा—अक्सर, बार-बार, प्रायः
७) बद-ख़िसाल—दुष्ट स्वभाव वाला, नीच प्रकृति वाला