मन
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मन भावों का समंदर,
अच्छा बुरा मन अन्दर।
मन का घोड़ा बेलगाम,
मन मंदिर चारो धाम।।
करो विचार सुन्दर कामना,
मन में राखो शुभ भावना।
बैठ विचार करो सब कोई,
मन में मैल रखो ना कोई।।
मन से बढ़कर ना संंसारा,
चेतना से मिटे अंधियारा।
विमल सुभाषित प्रकाश,
मन से मुट्ठी में आकाश।।
मन का दीप जले निरन्तर,
प्रकाशित हो उर अन्तर।
ध्यान धन सबसे बड़ा,
ईश ध्यान से मन सुन्दर।।
सुषमा सिंह
औरंगाबाद
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( सर्वाधिकार सुरक्षित एवं मौलिक)
सुंदर रचना।