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रक्षाबंधन-प्रेम शंकर premi

रक्षाबंधन
भाई बहन के प्यार का साक्षी
दिल से जुड़ा त्योहार है राखी ।
यह बंधन कोई खेल नहीं है
जग में इसका मेल नहीं है ।।

   आया सावन बदरा बरषा
   मन भी पुलकित होकर हरषा ।
   पूर्णिमा की तिथि सुहानी
   बैठी सजकर बहना रानी ।।

 रोली चंदन फूल मिठाई 
दीपक लेकर साथ में आई ।
भाई के मस्तक पर बहना 
हाथ से अपने तिलक लगाई ।।

      राखी बंधी सजी कलाई 
      भ्राता मुख में पड़ी मिठाई ।
      हर संकट से रक्षा खातिर
      बहना ने राखी पहनाई ।।

पुलकित होकर भाई ने
सुन्दर सा उपहार दिया ।
बहन की रक्षा करूँ हमेशा
खुद मुख से उच्चार किया ।।

       बना रहे यह प्रेम हमेशा 
       भाई बहन के नातों का ।
       रखें मान जीवन भर अपने
       प्रेमशंकर की बातों का ।।

  कवि----प्रेमशंकर प्रेमी (रियासत पवई )औरंगाबाद
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