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भक्ति काल के कवि रहीम दास के काव्य में उपदेश और विश्वास an

भक्ति काल के रहीम दास के काव्य में उपदेश और विश्वास

औरंगाबाद,( अकेला न्यूज)।सदर प्रखंड स्थित ग्राम जम्होर में साहित्यिक संस्था सामयिक साहित्य संवाद के तत्वाधान में भक्ति काल के महान कवि रहीम दास की 466वीं जयंती के अवसर पर साहित्यिक गोष्ठी एवं परिचर्चा का कार्यक्रम आयोजित किया गया। 
       प्रांतीय संयोजक सुरेश विद्यार्थी की अध्यक्षता में आयोजित परिचर्चा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मुखिया प्रतिनिधि प्रदीप कुमार सिंह की गरिमामई उपस्थिति रही। भक्ति काल के रहीम दास के काव्य में उपदेश और विश्वास विषयक परिचर्चा के संबोधन के क्रम में वक्ताओं ने कहा कि रहीम दास के दोहा एवं कविता में उपदेश की प्रधानता है ।इनकी सभी रचनाएं मानव जीवन को किस तरह से व्यतीत करना है,सामाजिक जीवन में किस प्रकार के लोगों का बोलबाला है उनको पहचानने, जानने के लिए रहीम दास जी आगाह करते हैं।उनके बारे में संपूर्ण व्यक्तित्व की चर्चा करते हैं। 
     रहीम के दोहा से हमें संपूर्ण जीवन को व्यतीत करने की सीख मिलती है। साथ ही साथ आत्मविश्वास का प्रकटीकरण भी होता है।हमें किस प्रकार की जीवन शैली को अपनाना है,जीवन को उत्कर्ष पर कैसे पहुंचाना है। उनकी कविताओं में भक्ति एवं अनुभव की प्रधानता है।नीतिपरक,प्रेम, भक्ति श्रृंगार परक यह सभी उनके काव्य की विशेषता है।
       आज के परिचर्चा में जितेंद्र कुमार सिंह,सुजीत कुमार सिंह, पवन कुमार सिंह, सत्यजीत मिश्रा,गणेश कुमार,मधुसूदन त्रिवेदी व राहुल कुमार सहित अन्य उपस्थित थे।
      धन्यवाद ज्ञापन आंचल फिल्म्स के डायरेक्टर अमित सिंह ने किया।

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