गजल
चोर पिया
दिल मेरा ये कहे,तुम हो चोर पिया।
लूट लिया मेरा दिल, नहीं शोर किया।।
ढूंढूं बावरी बनी,कहाॅं खोया मेरा दिल।
चुपके-चुपके चुराया तूने मेरा जिया।।
रात जगती रही,चाॅंद को तकती रही।
हाल-ए-दिल क्या कहू,कैसा जादू किया।।
लगा कैसा ये रोग,मढूं किस पर दोष।
हया से गुलाबी हुए, रुखसार पिया।।
साॅंसे महकने लगी, मैं संवरने लगी।
दिल पर लिखा, कैसा अल्फाज़ पिया।।
सुषमा सिंह